ठहाके लगाओ, स्वस्थ रहो
हँसी हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। ठहाके लगाकर हँसने से शरीर में
एण्डोर्फिन नामक रसायन की वृद्धि होती है, जो दर्दनाशक का काम करता है।
खुलकल हँसने से शरीर-तंत्र में अंतःस्रावी ग्रंथि सक्रिय होकर रोगों का
समूल नाश कर देती है। हँसी दबाने से काम नहीं चलेगा। ठहाके लगायें, खुलकर
हँसें, फिर देखें रोगप्रतिरोधक शक्ति कितनी बढ़ती है इन्सुलिन का स्राव
उचित मात्रा में होने से मधुमेह में कमी
आती है। रक्तचाप ठीक-ठाक रहने से रक्त-संचरण सामान्य रहता है। स्नायुओं का
समुचित व्यायाम हो जाने से शरीर की कार्यशक्ति बढ़ती है, स्मरणशक्ति में
वृद्धि होती है और शरीर की जकड़न तथा मानसिक तनावों से मुक्ति मिलती है।
मानसिक तनाव से शरीर में स्टिरॉइड तत्त्व पैदा होने लगते हैं, जिससे
जीवनीशक्ति में काफी कमी आती है। हँसने से खून के श्वेत कण सक्रिय हो जाते
हैं और बीमारी पर चारों ओर से आक्रमण करके उसका समूल नाश कर देते हैं।
खुलकर हँसना स्नायुओं की उत्कृष्ट कसरत है, जिससे शारीरिक थकान व मानसिक
तनाव का तुरंत उपचार हो जाता है। और इसके साथ भगवत्प्रीति को भी जोड़ा जाय
तो कहना ही क्या पूज्य बापू जी द्वारा प्रदत्त ʹदेव-मानव हास्य-प्रयोगʹ
मानव-जाति के लिए आशीर्वादरूप है। बापू जी कहते हैं- "इस प्रयोग से
प्रसन्नता, खुशी तुम्हारे अपने घर की खेती हो जायेगी। स्वर्ग का फरिश्ता भी
मिले और तुम्हारी मुस्कान पर रोक लगाता हो तो उसको भी ठुकरा दो।"
अब
तो देश-विदेश के वैज्ञानिक, चिकित्सक भी हास्य पर अध्ययन कर रहे हैं। डॉ.
कर्नल चोपड़ा के अनुसार, "हास्य चाहे कृत्रिम हो या स्वाभाविक, वह हमारे
शरीर पर अपना पूरा असर करता है और हमारी जीवनशक्ति, दर्द सहने की क्षमता
एवं रोगप्रतिरोधक शक्ति की वृद्धि करने में निर्णायक भूमिका प्रस्तुत करता
है।"
डॉ. विलियम फ्राई ने कहा हैः "ठहाके लगाने से दर्द, विशेष रूप से
शिरःशूल में कमी आती है। ठहाके लगाने से पाचन-संस्थान एवं फेफड़ों की बहुत
कारगर कसरत हो जाती है और ये अंग स्व्स्थ बने रहते हैं।
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