श्रीजाहरवीर गोगाजी
भाद्रपद
मास की कृष्ण पक्ष की नवमी (इस बार 11 अगस्त, शनिवार) गोगा नवमी के नाम से
प्रसिद्ध है। इस दिन श्रीजाहरवीर गोगाजी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास
से मनाया जाता है। इस अवसर पर बाबा जाहरवीर गोगाजी के भक्तगण अपने घरों में
इष्टदेव की थाड़ी (थान-वेदी) बनाकर अखण्ड ज्योति जागरण कराते हैं तथा
गोगादेवजी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का
जोत कथा जागरण कहते हैं। इस दिन कहीं मेले लगते हैं तो कहीं भव्य
शोभायात्रा निकाली जाती है। ऐसी मान्यता है कि श्रीगोगादेव भक्तों की सभी
मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
कौन थे श्रीगोगादेव महाराज -
श्रीगोगादेव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ
था। योगी गोरक्षनाथ ने ही गोगादेवजी की माता बाछल को प्रसाद रूप में
अभिमंत्रित गुग्गल दिया था। जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से जाहरवीर
(श्रीगोगादेव महाराज), पुरोहितानी से नरसिंह पाण्डे, दासी से मज्जूवीर,
महतरानी से रत्नावीर तथा बन्ध्या घोड़ी से नीलाŸववीर का जन्म हुआ। इन सभी
ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए विधर्मी राजाओं से घोर युद्ध किया जिसमें
श्रीगोगादेवजी व नीलाश्व को छोड़कर अन्य वीरगति को प्राप्त हुए। अंत में
गुरु गोरक्षनाथ के योग, मंत्र व प्रेरणा से श्रीजाहरवीर गोगाजी ने नीले
घोड़े सहित धरती में जीवित समाधि ली।
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