Tuesday, June 5, 2012

मास्टर मदन

मास्टर मदन (जन्म: 28 दिसंबर 1927, जालंधर, पंजाब - मृत्यु: 5 जून 1942, दिल्ली) भारत की आज़ादी से पहले के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। मास्टर मदन के बारे में बहुत कम लोग जानते है। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो 1930के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याति प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में 1940 के दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही जालंधर का निवासी होना था।

जन्म

मास्टर मदन का जन्म 28 दिसंबर, 1927 को पंजाब के जालंधर ज़िले के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है।
  1. यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये
  2. हैरत से तक रहा है
अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है। जब वह एक युवा लड़का था तब मास्टर मदन ने राजाओं के दरबार में गायन शुरू कर दिया था। आठ साल की उम्र में उन्हें संगीत सम्राट कहा जाता था।

शुरुआत

मास्टर मदन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से धरमपुर के अस्पताल द्वारा आयोजित रैली में गाया था। जब उनकी उम्र मात्र साढ़े तीन साल की थी। मास्टर मदन को सुनकर श्रोता दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उन्हें उस समय कई गोल्ड मैडल मिले और उसके बाद भी मिलते रहे। उसके बाद मास्टर मदन और उनके बड़े भाई ने पूरे भारत का दौरा किया और कई रियासतों के शासकों से कई पुरस्कार जीते। मास्टर मदन ने जालंधर शहर के प्रसिद्ध हरवल्ल्भ मेले में गाया था और उसके बाद शिमला में भी गाया था। शिमला में कई और उल्लेखनीय गायक भी आये थे लेकिन हज़ारों लोग केवल मास्टर मदन को ही सुनने के लिए उत्सुक थे।

गीत

  • यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये- ग़ज़ल
  • हैरत से तक रहा है- ग़ज़ल
  • गोरी गोरी बईयाँ- भजन
  • मोरी बिनती मानो कान्हा रे- भजन
  • मन की मन- ग़ज़ल
  • चेतना है तो चेत ले- भजन
  • बांगा विच..- पंजाबी गीत
  • रावी दे परले कंडे वे मितरा- पंजाबी गीत

निधन

मात्र 14 साल की उम्र में 5 जून, 1942 को इस विलक्षण बुद्धि के बालक (Child Prodigy) का निधन हो गया था।


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